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शोक का पुरस्कार मुंशी प्रेम चंद 2 मैं रोता हुआ घर आया और चारपाई पर मुँह ढाँपकर खूब रोया। नैनीताल जाने का इरादा खत्म हो गया। दस-बारह दिन तक मैं उन्माद ...